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चाहता है

क्या कहूँ वो मुझसे क्या क्या चाहता है
कुछ नहीं कहकर भी सब कुछ चाहता है
देखता रहता है बस ख़ामोशियों से
जाने क्या मुझसे वो कहना चाहता है
दिल ज़हन धड़कन भी उसके नाम है
फिर भी मेरे पास आना चाहता है
इश्क़ में बरबाद है तो क्या हुआ
इश्क़ में थोड़ी सी इज़्ज़त चाहता है
यूँ तो वो मुझको सताता रात दिन है
बज़्म में मेरी वज़ाहत चाहता है
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से दूर जाकर
ज़िन्दगी को फिर से पाना चाहता है
उसको हर शय हो मयस्सर और ख़ुशी से
जो मेरा अहबाब बनना चाहता है
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