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मना लूँ तुम्हें

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ख़फ़ा हो के उठकर चले जा रहे हो
कि संग संग मेरी जाँ लिए जा रहे हो
ये मन भी तुम्हारे ही संग जा रहा है 
बस पैर जैसे ज़मीं पर गड़े हैं
मुझे भी पता है यही तुम कहोगे
जैसे हो तुम वही तुम रहोगे
तुम्हें मैं बदलना नहीं चाहती हूँ
तुम्हारे ही सदके में जाँ वारती हूँ
जाने से हासिल नहीं कुछ भी होगा
जला दिल हमारा तुम्हारा भी होगा
तो इस मसअले को अभी ही मिटा दो
पलटकर ज़रा बस ज़रा मुस्कुरा दो
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